कायनात
कायनात
बहुत ही खूबसूरत कायनात
कभी खफा हो नहीं सकती।
कदम कदम अद्भुत अध्याय जोड़ती
खुश खुशहाल जिन्दगियों को बिखेर नहीं सकती।
नये नये नग्में गाते घरों में बंद
इंसान ख़ुशनसीब हो चले हैं
अपने चाहे मिलने से मजबूर, मीलों दूर
तस्वीरों में पास हो चले हैं।
कभी फूलों के जैसे बगिया महकाकर
कभी तितली बन उड़ जा रही है ज़िंदगी
खोना कुछ नहीं है, इस उम्मीद के संग
डर डर कर जीना सिखा रही है ज़िंदगी।
वह वापिस गुनगुनाती है, मुस्कुराती है
हवा के एक झोंके सी सहलाकर सुलाती है।
खफा न होना कभी एक दर्द से ऐ दोस्त
क्यों कि कायनात हर पल नया जीवन देती है हमें।