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काट दी रात हमने

काट दी रात हमने

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काट दी सारी रात हमने,

बिन पलके झुकाए,

काट दी सारी रात हमने,

बिन आँसू बहाए,

पूरी रात,

बस जाग कर बिताई,

न जाने ये कैसी है तनहाई,

आँखें मूंदकर भी

हमें नींद ना आई,

जाने क्यो रूठी है हमसे,

हमारी परछाई,

सुकून के पल में भी

एक पल चैन ना आए,

रहम कर दे मुझपर ए खुदा,

बना दे मुझको भी बाकी बंदों के तरह !


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