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मधुशिल्पी Shilpi Saxena

Romance

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मधुशिल्पी Shilpi Saxena

Romance

काश!

काश!

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काश! धरती को गगन से प्यार न होता।

काश! क्षितिज पर मिलना बेकार न होता।।


काश! समंदर पर दरिया को ऐतबार न होता।

काश! साहिलों को कश्ती का इंतज़ार न होता।।


काश! सावन मे मेघ और मल्हार न होता।

काश! पपिहरे का टेर और पुकार न होता।।


काश! हमको तुमसे प्यार न होता।

काश! खून के आँसू मेरा दिल न रोता।।


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