काश!
काश!
काश! धरती को गगन से प्यार न होता।
काश! क्षितिज पर मिलना बेकार न होता।।
काश! समंदर पर दरिया को ऐतबार न होता।
काश! साहिलों को कश्ती का इंतज़ार न होता।।
काश! सावन मे मेघ और मल्हार न होता।
काश! पपिहरे का टेर और पुकार न होता।।
काश! हमको तुमसे प्यार न होता।
काश! खून के आँसू मेरा दिल न रोता।।

