काश! हम कभी मिले ही ना होते
काश! हम कभी मिले ही ना होते
हम कभी मिले ही ना होते तो कितना अच्छा होता।
हम कभी संग बैठ कर वो किताब पढ़े ना होते तो कितना अच्छा होता।
काश! उसे रात तुझसे बात ही ना किया होता तो आज जिंदगी में सब कुछ सही चल रहा होता।
तेरी उसे एक मुस्कुराहट को देखने के लिए अपनों से वक्त निकला बस उस एक गलती की सजा ने आज मुझे अकेला कर डाला ।
काश! उसे दिन जल्दी सो जाती न देर रात तक जागकर अपने दिल की बात कहीं होती ।
कश आज हम पहले जैसे ही बात करते तू मेरे पास होता है और हम संग बैठ कर फिर से वही किताब पढ़ते ।