नफ़रत की बारिश
नफ़रत की बारिश
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हो रही थी उस दिन बारिश
बादल भी गरज रहे थे ।
दोनों एक कमरे में हो कर भी
एक दूसरे से दूर थे ।
वो खेल रहा था इस मासूम दिल से
और हम तभी उसे उम्मीद लगाए बैठे थे ।
चुप होकर भी हम दोनों बाते कर रहे थे ।
और वो अपना चाल चल रहा था
हम उसकी बातों को सच समझ बैठे थे ।
