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अमित प्रेमशंकर

Abstract

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अमित प्रेमशंकर

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काहे छोड़ी गईलू तू जान

काहे छोड़ी गईलू तू जान

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कवना बतिया के रखलू ध्यान

बोला काहे छोड़ी गईलू तू जान

फोनवा उठावे ना तू


बतिया ना करे लू

मर जाईब ख़ाके माहूर

काहे तडपावेलू...

तोहरा असरा में रहीं परेशान

बोला काहे छोड़ी गईलू तू जान


मन के मनाईं केतनो

मनले ई मानी ना

दिलवा के हाल

ज़ालिम दुनिया ई जानी ना


काहे जियते तू लेई ले लू जान

बोला काहे छोड़ी गईलू तू जान

कवना बतिया के रखलू ध्यान

बोला काहे छोड़ी गईलू तू जान


कवना बतिया के रखलू ध्यान

बोला काहे छोड़ी गई लू तू जान।


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