जयपुर
जयपुर
प्रेम की गुलाबी रंगत ओढे
रजवाडी शान रखता हूँ ...
बडे शहरो सी चकाचौंध है मुझमे
पर गांवो सा सूकुन भी रखता हूँ ...
हवामहल की अपनेपन की
आबोहवा मे बहता मै पत्रिका से
अपने पुरे परिवार की खबर रखता हूँ ...
गुलाब जी की चाय से महकर
चोखी ढाणी के दाल बाटी चुरमा मे
अपनी संस्कृति जीवित रखता हूँ ...
आमेर महल की दिन भर की
चहल पहल के साथ
नहारगढ की रंगीन शामे रखता हूँ ...
युँ तो हूँ 293 वर्ष का पर
मैं वो शहर हूँ जो
भुत, वर्तमान, भविष्य एकसाथ
लेकर चलता हूँ ...