जय जय भारत देश
जय जय भारत देश
जिस माटी में जन्म लिया है, गीत उसी के गाएंगे।
खून पसीना खूब बहाकर, अन्न उसी का खाएंगे।
मेरी माटी इतनी पावन, ईश्वर भी यहां आता है।
परम प्रेम के पाले पड़कर, ब्रज की माटी खाता है।
जिस माटी में------------
कल-कल-कल-कल नदियां बहती, झर-झर झरना झरते हैं।
डाल डाल पर सुंदर पक्षी, कैसे करलव करते हैं।
जिस माटी में-----------
सर-सर-सर-सर पवन है बहती, बोले कोकिला मनभावन।
दादुर केकी पपीहा बोले, आया मस्ती भरा सावन।
जिस माटी----------
सघन वनों में चली पुरवइया, सुंदर कुसुम महकते हैं।
टेसू के ये पुष्प तो देखो, अंगारे से दहकते हैं।
जिस माटी-------------
इस माटी का कर्ज बहुत है, कैसे इसे चुकाएंगे।
जब तक सांसो का आना-जाना, गीत इसी के गाएंगे।
जिस माटी में------------
तन-मन-धन सब अर्पित करके, इसकी लाज मचाएंगे।
बुरी दृष्टि से जो भी देखें, ईंट से ईंट बजाएंगे।
जिस माटी में------------
वंदे मातरम वंदे मातरम, वंदे मातरम गाएंगे।
झंडा ऊंचा रहे हमारा, इसको नित फहराएंगे।
जिस माटी में जन्म लिया हैं, गीत उसी के गाएंगे।
खून पसीना खून बहा कर, अन्न उसी का खाएंगे।
