जय जवान जय किसान
जय जवान जय किसान
जय जवान जय किसान,
देता जग को एक पैगाम,
सैनिक करता सेवा सीमा,
किसान करें खेत में काम।
धरती के वहीं रखवाले हैं,
सैनिक और जग किसान,
अन्न उपजाता वो खेतों में,
लोग सोते हैं चादर तान।
दूजा सीमा पर दे पहरा,
दुश्मन का करता संहार,
खून से होली खेलता वो,
उसका मातृभूमि से प्यार।
दोनों का मर्म समझा तो,
लाल बहादुर दिया नारा,
दिनभर सेवा करते थे वो,
हिम्मत को कभी न हारा।
बैलों के पीछे जब चलते,
बढ़ जाती धरती की शान,
शाम थके हारे घर लौटते,
कहलाते हैं वो बस किसान।।
