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Vijay Kumar parashar "साखी"

Abstract

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Vijay Kumar parashar "साखी"

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जय हो देव दरबार

जय हो देव दरबार

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देव के साथ लगा नारायण

आप कहलाये देवनारायण

माता साडू के आप हो लाल

दुःखियों की करते संभाल

सवाई भोज के आप पुत्र,


हर भक्त को करते निहाल

आपकी जय हो देव दरबार

श्री हरि के आप हो अवतार

बैंसला नाम के कबीला की,


देव जी आपने स्थापना की

कलि में संवारते बिगड़े काम

आप हो जंतर-मंतर के सार

लोक देवता कहे सारा संसार

आपकी जय हो देव दरबार

ग़ांव-ग़ांव में आपके देवरे,


आपकी महिमा अपरम्पार

साखी आया शरण आपकी,

देना देव मुझे अपना दुलार

सत्य-पथ पर सदा चल सकूँ,


देना शक्ति का वो संसार

कर देव मेरा तू बेड़ा पार

तेरी जय हो देव-दरबार

क्या अरज में करूँ तुझसे,


तू है अन्तर्यामी देव दरबार

बरसाना मेरे देव तू करुणा,

खत्म करना मन की तृष्णा,

तू है, मेरे देव सच्चा दरबार


जो भी मन से तुझे ध्याता है,

वो मन की मुरादे पाता है,

तेरी जय हो देव दरबार

शनि को ज्यादा याद करते है,


वो है,मेरे देव तेरा प्यारा वार

तू करुणा का अपार सागर है

हम मूर्खो देना सही आगर है

तू हमे मत बिसरा देना दरबार


तेरे बिन बन जाएंगे टूटे हार

तेरी जय हो देव दरबार

तेरी महिमा अपरंपार।


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