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Dr. Vikas Kumar Sharma

Abstract

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Dr. Vikas Kumar Sharma

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जय गंगा मैया

जय गंगा मैया

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क्षमा कीजै गंगा महारानी

बालक तुम्हरे हैं बहुत अज्ञानी


डबल्यू. एच. ओ. ने भी मानी

दूषित कर रहे सारा पानी


हैजा, बुखार, उल्टी व दस्त

बच्चे, बूढ़े, सब हो रहे पस्त


गंदगी, अपशिष्ट व कृषि रसायन

मजबूरी बन रही, करना पलायन


आर्थिक सोच से हमने पाया

जीवाणु, फफूँद, परजीवी का साया


अकेला चना ना भाड़ फोड़ी

प्रदूषण की सब मर्यादाएँ तोड़ी


3500 (कॉलिफार्म) के स्तर पर हरिद्वार

बंद करो ये मूर्खतापूर्ण व्यवहार


कूड़ा फैंके तो पाप तुमका लगी

सेहत से खिलवाड़, खुद से ही ठगी


अब न रहा किसी से छानी

केवल बातें ही करते हैं सयानी


हर घर में फैला दो ये खबर

सेहत पर हो रहा बुरा असर


सुधरो भैया, हमरी मानीं

याद आ जाएगी वरना नानी


साफ हो गंगा जिसने ठानी

वही मानुष कहलाएंगे ज्ञानी


शिव, विष्णु, ब्रह्मा, कृष्ण व भगीरथ

शुद्ध स्वच्छ गंगा, पूरे हो मनोरथ


सही समय है, कस लई कमर

निकाल छोड़ो पिछली सारी कसर


आसान हो जाई जिन्दगी का सफर

बिमारियों से दूर, नाम भी होई अमर




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