जवानी की उड़ान
जवानी की उड़ान
सिहर सिहर ये जवानी,
कहती बहुत है कहानी,
जब बोली कोयलिया
कुहू कुहू।
सावन की एक बरसात में,
टूट गयी नींद आधी रात में,
जब बोला पपीहा
पिउ पिउ,
जब बोली...कुहू।
होगी मेरी कब सगाई,
बाजेगी कब शहनाई,
मिलता न कोई
जिससे कहूँ,
जब बोली...कुहू।
सपना में होता दीदार,
वेखौफ करते हम प्यार,
पिया बिना हम
कैसे रहूँ,
जब बोली...कुहू।

