जुगनू
जुगनू
यूँ रातों को जागना अच्छा नहीं
फिर गिन गिन तारे तुझे
दिल में भरना अच्छा नहीं
चाँद भी खफ़ा सा रहता है, कहता है
किसी से यूँ टूट कर प्यार करना अच्छा नहीं।
यूँ दूर से तुझे तकना अच्छा नहीं
फिर छुप छुप तुझे आँखों से छूना अच्छा नहीं
वक़्त भी खफ़ा सा रहता है, कहता है
किसी से यूँ सब भूल कर प्यार करना अच्छा नहीं।
यूँ दर पहर खोया सा रहना अच्छा नहीं
फिर पल पल तुझे ख़्वाब सा बुनना अच्छा नहीं
मुक्कदर भी खफ़ा सा रहता है, कहता है
किसी से यूँ शिददत से प्यार करना अच्छा नहीं।
यूँ बा – दस्तूर ज़िया सा चमकते रहना अच्छा नहीं
फिर आफरीन आफरीन
तुझे जुस्तुजू सा बढ़ाना अच्छा नहीं
सुकून भी खफ़ा सा रहता है, कहता है
किसी से यूँ बेतहाशा प्यार करना अच्छा नहीं।
यूँ हर आयत उसकी नज़र में पेश करना अच्छा नहीं
फिर दुआ दुआ जानिब को माँगना अच्छा नहीं
ख़ुदा भी खफ़ा सा रहता है, कहता है
जुगनू की चाहत में खुद को ही जला लेना अच्छा नहीं।
यूँ रातों को जागना अच्छा नहीं
यूँ रातों को जागना अच्छा नहीं।

