जश्न ए आज़ादी
जश्न ए आज़ादी
जश्न -ए- आज़ादी तुम मनाना ज़रूर
अपने फर्ज़ों को, न भूल जाना हुज़ूर।
क़तरा इक आँख से ज़रा बहा देना
याद रखना तुम शहीदों का गुरुर।
फ़ख्र करना उन माँ के लालों पे तुम
देना सलामी उनको, दिल से ज़रूर।
मेले लगते हैं अब भी उन चिताओं पे
कहना उनका, न भूल जाना हुज़ूर।
जश्न-ए-आज़ादी तुम मनाना ज़रूर !
