STORYMIRROR

Krishna singh Rajput sanawad

Inspirational

1.0  

Krishna singh Rajput sanawad

Inspirational

जरा सब्र करो

जरा सब्र करो

1 min
653


जरा सब्र रखो ए अंधेरों

हमारी उम्मीदों का सूरज होने वाला है

बस देखी जाएगी औकात तुम्हारी।

कुछ पलों में यह तुम्हें कुचलने वाला है


बहुत जमा हो गई है मायूस या घर में हमारे

बहुत जमा हो गई है मायूस या घर में हमारे

बस अब खुशियों का द्वार खुलने वाला है

जरा सब्र रखो अंधेरों

हमारी उम्मीदों का सूरज उगने वाला है


बहुत हो चुका अत्याचार तुम्हारा

बहुत हो चुका अत्याचार तुम्हारा

अब तुम्हारे सामने यह नहीं

बेबस होकर झुकने वाला है

जरा सब्र रखो ए अंधेरों

उम्मीदों का सूरज उगाने वाला है।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational