ज़रा रुकी थी मैं
ज़रा रुकी थी मैं
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पुरानी तस्वीरों को छोड़,
आगे बढ़ी थी मैं !
यादों की स्मृतियों में खो ,
ज़रा रुकी थी मैं !!
अनजान रहो पर चली थी ,
उम्मीदो की गठरी बाँध !
मंज़िल तक पहुंचने से पहले ,
ज़रा रुकी थी मैं !!
रोक ले दूर जाने से मुझे तू,
थाम कर रख ले पास !
दूर नहीं जाना चाहती थी ,
तभी ज़रा रुकी थी मैं !!
आँखों में विश्वास था मेरे ,
यूँ ही न जाने देगा मुझे !
विस्वास के लिए ही तो ,
ज़रा रुकी थी मैं !!
तूने ध्यान कहां दिया था ,
आँसू पलकों के पीछे थे !
गहरी साँस भरकर के,
ज़रा रुकी थी मैं !!