जो तू ज़रा साथ निभा दे मेरा...
जो तू ज़रा साथ निभा दे मेरा...
हो मेरी पकड़ जो कभी ढीली
तो तू ज़रा बाँध लेना
जो लड़खड़ाए मेरे कदम
तो तू ज़रा थाम लेना।
तेरी ताकत बनकर खड़ी रहूंगी मैं हमेशा
जो मेरी ताकत कम पड़े, तो ज़रा हाथ बढ़ा देना
तुझे क्या कहूँ मैं, कितना हैं यकीन तुझ पे
कभी खुद पर हो शक, तो ज़रा विश्वास दिला देना।
जो भर जाए मेरा दामन खुशियों से कभी
तो ज़रा उसे गाँठ बाँध लेना
आसमान के तारे गिनते कभी जो आँख लग जाए मेरी
तो ज़रा ज़ेहन में मेरे सौर मंडल सजा देना।
लङने के लिए नहीं, जीतने के लिए आओ चले आगे
जो गुरुर मेरा बढ़़ जाए , तो ज़रा ज़मीन पे उतार लाना
ऊँचाई से डर नहीं लगता मुझे, ना परवाज़ की हैं फ़िक्र
अपने अंदर का इंसान खोने लगे, तो ज़रा आईना दिखा देना।
तुझसे कहाँ है छिपा, मेरे अंदर का इंसान कैसा
जो उसका वजूद मिट जाए, तो ज़रा मिट्टी में मिला देना।।
