जो नहीं हम वो होना चाहते है
जो नहीं हम वो होना चाहते है
जो नहीं हम वो होना चाहते हैं
ये समझ बर्बाद करती है
न समझी में खोना चाहते हैं
हैं कुछ देर का सुकून जानते हैं
पर अब हम सोना चाहते हैं
जागना तय हैं कुछ देर में
न जाने क्यों फिर भी
ये झूठा नींद का खिलौना चाहते हैं
जो नहीं हम वो होना चाहते हैं
किनारों में रहे अब तक नादान से
कि अब हम कश्ती को डुबोना चाहते हैं
रेत की परत से बिछे रहे एक ही जमीन पर
अब लहरों के बहाव को खोना चाहते हैं
जो नहीं हम वो होना चाहते हैं।