STORYMIRROR

Dinesh Gupta

Romance

2  

Dinesh Gupta

Romance

जो कुछ भी था दरमियाँ

जो कुछ भी था दरमियाँ

1 min
13.9K


तेरे सुर्ख होंठो की नरमियाँ याद है

तेरी सर्द आहों की गरमियाँ याद है

कुछ भी तो नहीं भूले हम आज भी

जो कुछ भी था दरमियाँ याद है....

 

याद है बिन तेरे वो शहर का सूनापन

संग तेरे वो गाँव की गलियाँ याद है

याद है वो महकता हुआ गुलशन

वो खिलती हुई कलियाँ याद है..

 

याद है तेरी आँखों की वो मस्तियाँ

तेरी जुल्फों की वो बदलियाँ याद है

कुछ भी तो नहीं भूले हम आज भी

जो कुछ भी था दरमियाँ याद है....

 

याद है कल वो बीता हुआ

वो हारी हुई बाज़ी, पल वो जीता हुआ

संग तेरे लम्हों का यूँ गुजरना याद है

याद है बिन तेरे मौसम वो रीता हुआ !

 


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance