हम जो होठों पर इतनी मुस्कान लिए बैठे हैं
हम जो होठों पर इतनी मुस्कान लिए बैठे हैं
हम जो होठों पर इतनी मुस्कान लिए बैठे हैं
सीने में ग़मों का तूफान लिए बैठे हैं
आप जो हमसे इतना अनजान हुए बैठे हैं
आप तो हमारी जान ही लिए बैठे हैं
एक वो हैं जो इश्क करके कब का मुकर गए
एक हम हैं जो अब तक ये अहसान लिए बैठे हैं
मालूम है के टूटकर गिरेगा ख्वाब आँखों से फिर एक बार
फिर भी दिल में वही अरमान लिए बैठे हैं !