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Dinesh Gupta

Comedy

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Dinesh Gupta

Comedy

ज़िन्दगी क्या होती है !

ज़िन्दगी क्या होती है !

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सबकी राहों मे नहीं होती है चादर फूलों की
किसी की तक़दीर होती है डगर शुलों की
ज़िन्दगी क्या होती है जरा उनसे पुछो
जिनके घर रोज जंग होती है भूख और उसूलों की

सबको नहीं मिलता जीवन मे खुशियों का संसार
हालाँकि सबकी आँखों मे होता है सपनो का अंबार
ज़िन्दगी क्या होती है जरा उनसे पुछो
ज़हाँ हर रोज जाता है हौसला बेबसी से हार

सबके दिल मे होता है आसमाँ छुने का अरमान
पर कहीं हर घड़ी हर पल लुटता है आत्मसम्मान
क्या होती है घुटन जरा उस परिंदे से पुछो
कैद है जिसकी पिंजरे मे हर एक उड़ान

कहीं हर पल उठती और पूरी होती एक नयी फरमाइश
कहीं हर पल आँसुओं मे धुलती हर एक ख्वाइश
ज़िन्दगी क्या होती है जरा उनसे पुछो
जहाँ हर रोज होती है वजूद की आजमाइश

सुना था वक्त के साथ सब कुछ बदलता है
कहीं भी उगता हो सूरज, जिनके यहाँ रोज ढलता है
धरती के उस टुकड़े से पुछो क्या होती है जलन
जहाँ बादल हर रोज गरजता है मगर कभी नहीं बरसता है

 


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