जन्मदिन
जन्मदिन
पुरानी कहावत कहूं तो हर बार जन्मदिन,
एक साल को कम कर जाता जीवन की,
फिर भी खुब खुशी से मनाया जाता सबका जन्मदिन,
पहले जमाने की परम्परा थी मां दीप जलाती थी,
और अब मोमबत्ती को बुझा जन्मदिन मानती है,
पहले प्रसाद रूप में मीठा बनाया जाता था,
अब केक काट सबको खिलाया जाता है,
सचमुच पुरानी बातों को ढोंग समझ उनका किया अपमान,
नये तरीकों से मनाया जाने लगा यह जन्मदिन का उत्सव।