Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Anupam Malanda

Tragedy

3  

Anupam Malanda

Tragedy

जनाज़ा

जनाज़ा

1 min
175


तड़प जायेगा दर्द से बेदर्द दिल ये तेरा ..

याद आयेगा जब तुझे बेइन्तेहा इश्क मेरा ...

आयेगी जब देर से तू कुछ यूं मचल मचल कर ...

निकल चुका होगा जनाज़ा

मेरा कांधे बदल बदल कर ...!!


रोयेगा फिर दिल तेरा चीखेगा चिल्लायेगा ....

हर गुनाह रह के तुझे फिर तेरा याद आयेगा ....

दौड़ेगी पीछे मेरे कभी गिर के कभी संभल कर ..

जा रहा है जनाज़ा मेरा कांधे बदल बदल कर ...!!


देख मेरी बर्बादी पर रो रहा मेरा ख़ुदा ..

ये जहां भी रो रहा  रो रहा हैं आसमां ...

है तेरा रोना भी क्या ..मेरे इश्क का कतल कर ..

जा रहा है जनाज़ा मेरा कांधे बदल बदल कर ...!!


रहे सदा आबाद तू दुआ लगे ज़माने की ...

माफ़ तुझ को कर दिया हैं आदत हैं इस दीवाने की ..

सो चुका ताउम्र मैं अब नहीं जग पाऊँगा ..

लौट जा घर को तेरे अब नही मिल पाऊँगा ...

क्यों की जितनी जल्दी तुझे मेरी लाश को

सीने से लगाने की ...

उस से कहीं ज़्यादा जल्दी है मेरे यारों को

मुझे मिट्टी मे दफनाने की... !!



Rate this content
Log in

More hindi poem from Anupam Malanda

Similar hindi poem from Tragedy