जल ही जीवन है
जल ही जीवन है
तू बूंद - बूंद
मुस्कुराती जाये
हर बूंद मे
अमृत बरसाती जाये ।
तेरे बिन
जान चली गई मेरी
हर एक बूंद के लिये
तड़पाती जाये ।
कहते है जान बची
लाखो पाये
पर लाखो मे तुम
एक बूंद को ना बचा पाये ।
एक दिन एक बूंद मे
अमृत बस जायेगा
एक दिन एक इन्सान
एक बूंद के लिये तड़प जायेगा ।
जब धरती से
एक बूंद खत्म हो जायेगी
तब स्वभाविक है कि
भगवान से प्राथना करोगे
कि हे भगवान !
क्या अब बारिश हो जायेगी ?
तब भगवान कहेगा,
जो तुम्हारे पास है
उसे ही नहीं बचा पाये
तो मेरे बरसने का
क्या फायदा...!