जख्म
जख्म
जख्म ख्वाबो मे मिले
तो उसका इस्तकबाल करें
ख्वाब रातों मे दिखे
तो उसका इस्तकबाल करें
हकीकत कभी क्यूँ मिलता नहीं
गर वो ख्वाबों मे भी मिले
तो उसका इस्तकबाल करें!
मसरूफ हो नींद मे हर पल
ख्वाब मे तारों को देखकर
रात का चाँद जब मिले
तो उसका इस्तकबाल करें!
चन्द लम्हों की दुनिया है
ज़रा संभल कर चलो
अंध भक्तों की दुनिया है
ज़रा संभल कर चलो
कर्म की राह मुसाफिर ढूंढ लेते हैं
मंजिल को पाकर भी वो मिले
तो उसका इस्तकबाल करें!!
