जियो और जीने दो
जियो और जीने दो


सब को अपने ढंगसे जीना है
किसी को किसी से
क्या लेना है
जब अपनों ने मुँह मोड़ लिया
नाते -रिश्ते सब
छोड़ गया
तब औरों को क्यों
वाध्य करेंगैरों को क्यों हम
तंग करें दुख को पास नआने दो
इच्छा चाहत को नजगने दो
चाहत से ही संघर्षउपजते हैं
एक दूजे के दुश्मनबनते हैं
खूब जियो सबको जीने दो
खुद उनको अपना करने दो
प्रेम की बातें खुद ही सीखेंगे
अपने फर्ज को वेखुद जानेंगे !