STORYMIRROR

Brijlala Rohanअन्वेषी

Inspirational

4  

Brijlala Rohanअन्वेषी

Inspirational

जिस जगह जागा उस जगह सवेरा

जिस जगह जागा उस जगह सवेरा

1 min
460

कुछ कर के जो ,कुछ धर के जो ।

कुछ लिख के सो ,कुछ पढ़ के सो ।

जिस जगह जागा सबेरे उस जगह बढ़ के सो ।

कुछ हँस के रो ,कुछ लड़ के दोस्त करो ।

समधुर संबंध के लिए मन की ग्लानि गला के जो ।

प्रेम के पथिक हैं हम ,कुछ प्यास मिटा के जो ।

बुनी हुई रस्सी से चकित है दुःख। 

खुशबू के शिलालेख से चलो आओ न लिखें अपना सुख ।

जिस जगह जागा होगा सवेरा !

कुछ गमों भी आनंद की मुस्कुराहट मुसकुरा के जो ।

उधर रही है घर पर उम्मीद की एक ईंट लगा के जो ।

कुछ बना के जो ,कुछ सजा के जो ।

जाना है सबको एक दिन मगर किसी की दिल में जगह बना के जो ।

कुछ लिख के सो ,कुछ पढ़ के सो ।

तू जिस जगह जागा सबेरे ,उस जगह से बढ़ के सो ।

जिंदगी मिली है अमूल्य इसे किसी के अमानत कर के जो ।

किसी के लिए जीकर इसे सलामत कर के रहो ।

कुछ कर के जो ।कुछ कर के जो ।

तू जिस जगह जागा उस जगह सवेरा ।।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational