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Rooh Lost_Soul

Romance

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Rooh Lost_Soul

Romance

जिंदगी

जिंदगी

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कुछ सोचकर हम चुप रहे

पर अब नहीं,

ज़िन्दगी बिन तेरे भी

शायद इतनी बुरी नहीं।


रूह को मेरी दिए,

ना जाने कितने ज़ख्म,

फिर भी चुप रहे, हाँ मगर

रूह की रूह को हुई पीर,

था ये गंवारा नहीं।


कुछ सोचकर थे,

हम चुप रहे

पर अब नहींं,

हाँ अब नहींं।


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