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Preeti Sharma "ASEEM"

Abstract

5.0  

Preeti Sharma "ASEEM"

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जिंदगी

जिंदगी

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ज़िन्दगी जैसी है !

उसे वैसे जीने में ही आनंद है।


मौत यथार्थ है, 

अटल सत्य है।

और यह भी सच है 

कि जीवन की तमाम, 

जदोजहद मृत्यु पर ही

खत्म होती है।


लेकिन खूबसूरत तो

ज़िन्दगी ही होती है।

जो अविरल,

जलधारा के समान 

निरंतरता के साथ बहती|


 दुख/मुसीबत रूपी,

 चट्टानों से टकराती।

आक्रोश रूपी,

भयानक लहरें बनाती।


कभी आर्थिक तंगी रूपी, 

तंग संकरी घाटियों से गुजरती।

और कभी वैभवशाली होने पर ,

शांत वे-आवाज़ बहती जाती।


इस तमाम लंबे सफर,

के पड़ाव ही अनुभव कहलाते हैं

जो अत्यावश्यक है।

अंत में, प्रत्येक जलधारा,

महासागर में समा कर।


अपने सांसारिक

अस्तित्व का विलय कर,

तद्रूप हो जाती है।

इसी को हम मृत्यु कहते हैं।


मृत्यु की सुंदरता,

विलय में, 

तद्रूप होने में है।


लेकिन जीवन की सुंदरता 

सभी स्थितियों में,

जीवन -रस पाने से है।


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