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Madhu Vashishta

Inspirational

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Madhu Vashishta

Inspirational

जिंदगी

जिंदगी

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जिंदगी जब हमें जीने लगे।

घूंट घूंट कर हमें ही पीने लगे।

रिस रिस कर दर्द भी बहने लगे।

गैर तो गैर अपने भी बहुत कुछ जब कहने लगे।

माथे से हटाकर शिकन एक बार तुम मुस्कुरा लेना।

छोड़कर परवाह जमाने की खुद ही खुद को समझा लेना।

यह दौर है वक्त का कुछ सिखाने को आया है।

असफलता की सीढ़ी पार करके ही तो नगर सफलता का आया है।

अंधेरों को पार करके ही तो सूर्य का प्रकाश आता है।

हल्की सी लालिमा में भी वह कहां पर घबराता है।

उसे पता है वह सूरज है इसीलिए तो प्रकाश पुंज कहलाता है।

घिरा हो बादलों में या हों रास्ते अंधेरों के।

वह सूरज है, किसी भी अवस्था में उसे चमकना आता है।

जब तक है जिंदगी और जिसे जीना आता है,

परिस्थितियां उसे नहीं उसे परिस्थितियों को हराना आता है।



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