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Deepu Bela

Abstract

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Deepu Bela

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जिंदगी में आज उजाले हैं

जिंदगी में आज उजाले हैं

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जिंदगी में आज उजाले हैं

कल गम के बादल काले थे

पावों की नीचे भी छाले थे

सीने में चुभते दिल के टुकड़े हजारों थे।


सांसों की रवानी में भी दर्द की कहानी थी

फिर भी ये बात हम ने जानी थी।

ये तो महज एक किस्सा है

अभी तो बाकी पूरी कहानी है।

हमने भी ये ठानी है

बदलनी ये कहानी है।


पावों के छालो ने चलना शिखा दिया और

दिल के जख्मों ने जीना।

कुछ अपनों की मगरूरी ने गैरों से मिला दिया तो

कुछ गैरों की अच्छाइयों ने अपनो को भुला दिया।


कुछ अधूरी चाहतो ने सरेआम रुला दिया तो

कुछ टूटे सपनों ने रातों को भी जगा दिया।

कुछ ख्वाबों ने हकीकतों से नाता तोड लिया तो

कुछ रास्तों ने मंजिल पर आके रुख मोड़ लिया।


कैसे ना बदलती ये कहानी यारों

हमने अपने लहू से जो लिखी थी।

कैसे ना होते जिंदगी में उजाले यारों

हमने अंधेरे में भी खुद को जलाया था।


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