ज़िन्दगी खेल नहीं
ज़िन्दगी खेल नहीं
ज़िन्दगी खेल नहीं है फिर भी कदम-कदम पर खेला जाता है
एक बार मिले जीवन को प्रेम व प्रसन्नता से ही सहेजा जाता है
जनता के रक्षक भला कैसे करेंगे हमारा बचाव
अब जानवर तक देने लगे हैं उन्हें गहरा घाव
अपनी भीतरी ताकत का अहसास होता है जिनके पास
ऐसे सिंह समान शूरवीर बन जाते हैं समाज में खास
जो अपना सब कुछ बलिदान करने को रहते हैं तत्पर
वो कायरों जैसा जीवन न जी कर होते हैं निडर
जो सांसारिक कर्म करते हुए निरंतर आगे बढ़ते हैं
वो ही सकारात्मक ऊर्जा के साथ जीवन जीते हैं
ऐसे कर्मठ परोपकारी बन कर केवल देश-सेवा करते हैं
वो ही अपने महान कार्यों से दुखियों को तृप्त करते हैं
सोने की चिड़िया कहलाए जाने वाले हमारे देश में ये आज क्या हो रहा है!
दूसरों की रक्षा का प्रण लेने वाले आज अपनी ही देखभाल नहीं कर पा रहे!
हमें ठोस कदमों के साथ मिलजुल कर आगे बढ़ना होगा
इंसानियत के साथ-साथ जानवरों को भी कसना होगा
ज़िन्दगी की सही तथा सार्थक परिभाषा को समझना होगा
मनुष्य के संग जानवरों से भी स्नेहपूर्ण व्यवहार करना होगा
ज़िन्दगी खेल नहीं तो कोई भी खिलवाड़ मत कीजिए
ये तो केवल मेल से भरा संसार बस केवल प्यार दीजिए।