ज़िंदगी के कई राज छिपा रखे हैं
ज़िंदगी के कई राज छिपा रखे हैं
ना पूछो मेरी बेबसी का आलम मुझसे
ना पूछो मेरी बंदगी का आलम मुझसे
अक्सर वक़्त गुज़र जाता है तन्हाई में यूँ ही
ना पूछो मेरी तन्हाई का आलम मुझसे
खामोश चेहरे के पीछे,
कई राज छिपा रखे है मैंने
आँखो की नमी में
कई गमों को भीगा रखा है मैंने
अक्सर मिलता हूँ लोगों से,
होठों पर एक मुस्कुराहट लिए
उस मुस्कुराहट के पीछे
एक रुसवाई छिपा रखी है मैंने
ज़िंदगी के कई राज छिपा रखे हैं मैंने
अक्सर बीच मे होता हूँ लोगों के,
इस अकेलेपन को दूर करने के लिए
पर उस भीड़ में भी,
एक दोस्त छिपा रखा है मैंने
ज़िंदगी के कई राज छिपा रखे हैं मैंने
करता हूँ कोशिश हँसाने की लोगों को मैं,
ग़लतियों से अपनी हर ग़लती के पीछे
एक नादानी छिपा रखी है मैंने
ज़िंदगी के कई राज छिपा रखे हैं मैंने
सुनता हूँ बहुत सी बातें,
चुप रहकर लोगों से मैं
पर इस चुप्पी के पीछे भी,
एक आवाज़ छिपा रखी है मैंने
ज़िंदगी के कई राज छिपा रखे हैं मैंने
अक्सर वक़्त बिताता हूँ,
कविताएँ लिख कर के मैं
पर हर कविता में,
एक नाम छिपा रखा है मैंने
ज़िंदगी के कई राज छिपा रखे हैं मैंने
ना पूछो कोई राज मेरी ज़िंदगी का मुझसे
क्योंकि उस राज की
किताब को छिपा रखा है मैंने
ज़िंदगी के कई राज छिपा रखे हैं मैंने।।