जिंदगी है चार दिन की
जिंदगी है चार दिन की
जिंदगी है चार दिन की चार दिन के हैं फसाने…
बस यूं ही कट जाएगी ये कोई माने या ना माने !
लोग भी तो जो साथ हैं साथ छोड़ जायेंगे सारे…..
यहां ना कोई साथ गया है कितने गुजरे जमाने !
कुछ को हैं गिले किसी से कुछ को शिकवे पुराने.
गिलें शिकवों में जो रूठे एकबार फिर कहां है माने !
क्या साथ लेकर थे आए क्या साथ लेकर है जाना….
कर लो सब अरमान पूरे गम यहीं पर है रह जाने !
जियो जीवन को हर पल जैसे ये पल आख़िरी हो .
सब को कहां मिल पाते हैं जीवन के छुपे खज़ाने !