Sunoti Haldar
Classics
मंजिल मिले ना मिले
ये तो मुकदर की बात है!
हम कोशिश भी ना करे
ये तो गलत बात है…
जिन्दगी जख्मों से भरी है,
वक्त को मरहम बनाना सीख लो,
हारना तो है एक दिन मौत से,
फिलहाल जिन्दगी जीना सीख लो !
बेशक तेरी जिं...
मंजिल मिले ना...
न चादर बड़ी क...
तुम दूर ही सह...
गुजर रही है उ...
कोई अपना अपना...
लोग क्या कहें...
जिंदगी है चार...
बड़ी मुश्किल ह...
गिरिराज का विधिपूर्वक पूजन कर सभी कृष्ण के साथ लौट आये व्रज में। गिरिराज का विधिपूर्वक पूजन कर सभी कृष्ण के साथ लौट आये व्रज में।
सच बताऊ मैंने क्या किया आपके लिए। मैंने तो सिर्फ शायरियों में लिखा आपको। सच बताऊ मैंने क्या किया आपके लिए। मैंने तो सिर्फ शायरियों में लिखा आपको।
हाथ में गदा ले कर नारायण बलि के द्वार पर सदा हैं रहते। हाथ में गदा ले कर नारायण बलि के द्वार पर सदा हैं रहते।
सुनकर सहम गए थे राम जी सुनकर सहम गए थे राम जी
तीनों पुरों को जलाकर शंकर ने पुरारी की पदवी प्राप्त की। तीनों पुरों को जलाकर शंकर ने पुरारी की पदवी प्राप्त की।
राजा सगर ने तब अंशुमान को राज्य का सब भर सौंप दिया महर्षि और्व के बतलाये मार्ग से राजा सगर ने तब अंशुमान को राज्य का सब भर सौंप दिया महर्षि और्व के बतलाये...
शरीर छोड़ दिया डुबोकर आधा अपने को, गण्डकी के जल में। शरीर छोड़ दिया डुबोकर आधा अपने को, गण्डकी के जल में।
भगवान् को प्राप्त कर लिया लगाकर मन को भगवान् कृष्ण में। भगवान् को प्राप्त कर लिया लगाकर मन को भगवान् कृष्ण में।
गवालबालों को निकाल लिया था चट्टान तोड़ गुफा के द्वार की। गवालबालों को निकाल लिया था चट्टान तोड़ गुफा के द्वार की।
शांत थी द्रौपदी पर उसके शब्द गूंजते थे, हर किसी से अनुत्तरित प्रश्न वो पूछते थे! शांत थी द्रौपदी पर उसके शब्द गूंजते थे, हर किसी से अनुत्तरित प्रश्न वो पूछते ...
यमराज ने प्रसन्न हो हरि के चरणकमलों का स्मरण किया था। यमराज ने प्रसन्न हो हरि के चरणकमलों का स्मरण किया था।
राजा परीक्षित ने पूछा भगवन किस कारण त्याग किय था देवाचार्य बृहस्पति जी ने। राजा परीक्षित ने पूछा भगवन किस कारण त्याग किय था देवाचार्य बृहस्पति जी ने।
गुरु, देवताओं की पूजा की ब्राह्मणों को था दान दिया। गुरु, देवताओं की पूजा की ब्राह्मणों को था दान दिया।
भगवान् के लिए कर्म करने से वैसे ही वे सबके लिए हो जाते। भगवान् के लिए कर्म करने से वैसे ही वे सबके लिए हो जाते।
बुद्धि उनकी निश्चयात्मक थी यद्यपि पाशों में बंधे हुए थे। बुद्धि उनकी निश्चयात्मक थी यद्यपि पाशों में बंधे हुए थे।
मत करो अपमान पवित्र गीता का यहाँ, ना जाने कितने झूठ का पाप ढ़ो रही है वह, सिसक सिसक कर रो रही है वह... मत करो अपमान पवित्र गीता का यहाँ, ना जाने कितने झूठ का पाप ढ़ो रही है वह, सिसक ...
अशुभ ग्रह इसे हैं कहते प्राय: अमंगल का सूचक है। अशुभ ग्रह इसे हैं कहते प्राय: अमंगल का सूचक है।
दो हजार दो योजन की दूरी प्रत्येक क्षण में पूरी हैं करते। दो हजार दो योजन की दूरी प्रत्येक क्षण में पूरी हैं करते।
संज्ञा ने घोड़ी का रूप धर भगवान सूर्य द्वारा उन्होंने दोनों अश्वनीकुमारों को संज्ञा ने घोड़ी का रूप धर भगवान सूर्य द्वारा उन्होंने दोनों अश्वनीकुमारों ...
फाड़ डाला उसके शरीर को खेल खेल में अपने नखों से। फाड़ डाला उसके शरीर को खेल खेल में अपने नखों से।