STORYMIRROR

Preeti Sharma "ASEEM"

Abstract

4  

Preeti Sharma "ASEEM"

Abstract

जिंदगी और धुंध

जिंदगी और धुंध

1 min
318

सारी उम्र एक धुंध में,

चलता ही चला गया।


 जितना रास्ता तय किया।

 कितना बाकी रहा..... 

 चंद कदमों को छोड़कर,

 सब धुंध में कहीं गुम हो गया।।


 सारी उमर एक धुंध में,

 चलता ही चला गया।


 जिंदगी की राह में,

तमाम ख्वाहिशें जब पा गया।

 आगे चलकर फिर.......

 नई ख्वाहिशों में आ गया।


 पीछे मुड़कर देखता हूँ।

 क्या मिला।

और क्या चला गया।

 एक धुंध थी.......

और...........

 उस वक्त से निकलकर,

 सब धुआं -धुआं हो गया।


 ना -चंद कदम आगे,

 ना - चंद कदम पीछे,

 का कुछ नज़र आता है।।


 इंसान है कि........

जेहन में धुंध लिए,

 चलता ही चला जाता है।


 


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract