जिन्दा
जिन्दा
गर ज़िन्दा हो तो ज़िन्दा दिखना जरूरी है
दर्द हो तो दर्द का एहसास होना जरूरी है
तबियत तो नासाज होती रहती है यूँ ही
दवाओं का असर नज़र आना भी जरूरी है
गुरबत में कट रही जिन्दगी तो ग़म कैसा
जिन्दगी को सजाने संवारने की जिम्मेदारी
आना भी जरूरी है
फना होती है दुनिया क़यामत के एक इशारे पर
जलजलों से बचना और बचाना भी जरूरी है
जीस्त होनी चाहिये बरगद के छाँव जैसी
मसले हल करके मुआफ करना भी जरूरी है
बेगैरत है जमाना बेनकाब करता रहता है
कातिलों के शहर में खुद को बचाये रखना
भी जरूरी है
