जीवनचक्र
जीवनचक्र


प्रभु की कृपा से जीवन पाया
प्रभु ही तो तुझे प्रकाश में लाया।
प्रभु की कृपा से जीवन चलता
फिर मानव क्यों अहम है करता?
खाली हाथ तू तो था आया,
सबकुछ यहाँ ही जग में पाया,
ना कुछ साथ ले जा पायेगा,
फिर मानव क्यों अहम है करता?
केवल धर्म कर्म साथ आता
धर्म कर्म ही साथ है जाता।
माया काया अस्तित्व हीन है
फिर मानव क्यों अहम है करता?