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Sankit Sharma

Inspirational Others

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Sankit Sharma

Inspirational Others

जीवन

जीवन

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भूस्खलन में गिरती पठारों के जैसे

 ढहे जा रही है समय की पगडंडियां

 कर रही पथ को धुंधला 

आशंका सी ये फैली रेत

 ताजपोशी की प्रतीक्षा में

 न जाने कितने विचार मर जाते है 

जीवन जिजीविषा का नाम है 

अंत से आती रेखा जैसा होता है 

प्रतिबिंब इसका 

और मिटती सी धुंधली रेखाओं

को गाढ़ा कर देना ही होता है

 सफल होना

 जो मिटती नहीं फिर 

टूट जाने के बाद भी 

प्रसंगवश अंत की ओर भागते

जीवन तो सब ही जीते है।



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