विद्यार्थी,लेखक,कवि कुछ ख्वाहिशें जुदा सी है और कुछ खफा सी है।
वो चलते है जिस चमन, वहां बहार खिलती है उनके आंचल तले मुझे बागबां नजर आता है वो चलते है जिस चमन, वहां बहार खिलती है उनके आंचल तले मुझे बागबां नजर आता है
अंत से आती रेखा जैसा होता है अंत से आती रेखा जैसा होता है
चल मेहनत के बुते मज़िल पाने की ठान लेते हैं। चल मेहनत के बुते मज़िल पाने की ठान लेते हैं।
सावधानी हमे बरतनी होगी सब तत्वों के शिखर पर हमको रखनी अपनी प्रकृति होगी। सावधानी हमे बरतनी होगी सब तत्वों के शिखर पर हमको रखनी अपनी प्रकृति होगी।
उलझा देती है और छोड़ देती है उसे तन्हाइयों में खुद से बातें करता हुआ। उलझा देती है और छोड़ देती है उसे तन्हाइयों में खुद से बातें करता हुआ।
इसलिए मैं नहीं लिखता कविता मैं लिखता हूं अनकही व्यथा। इसलिए मैं नहीं लिखता कविता मैं लिखता हूं अनकही व्यथा।
अब चाहत नहीं है किसी को गाँव जाने की सब चाहते है अपनी जिंदगी शहर में बिताने की अब चाहत नहीं है किसी को गाँव जाने की सब चाहते है अपनी जिंदगी शहर में बिताने क...