चल साथी
चल साथी
चल खुली सी इन हवाओं से,
खुशबू मांगते हैं
चल उगते से इस सूरज से,
जीवन की सत्यता जानते हैं
कुछ कदम में बढूंगा आगे
मेरे साथी कुछ फासला
तुम तय करना,
चल फूलों की इस मज़हार से
जीवन को रंगते हैं
जिंदगी की राहों में
अकेले टिकना है कैसे,
चल इन वादियों से
जान लेते हैं
चंचल मन और चंचल तन
का एहसास पाना है कैसे,
चल इन पत्तों से जान लेते हैं।
कुछ कदम में आगे बढूंगा
ए साथी कुछ फासला
तुम तय करना,
चल मेहनत के बुते
मज़िल पाने की ठान लेते हैं।