Surendra kumar singh

Abstract

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Surendra kumar singh

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जीवन युद्ध में

जीवन युद्ध में

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जीवन तो युद्ध में है

और भविष्य सौंदर्य और आनन्द

से भरा हुआ है

यही तो मन्जिल है जीवन की

इतना सा लक्ष्य है जीवन का

तो मनुष्यता की पगडंडी पर

आहिस्ता आहिस्ता चलते हुये

मनुष्य होने की गन्ध लेते हुये

मन्जिल के साथ साथ

जीवन के सफर में हैं।

भविष्य मन्जिल में सिमट आया है

और हम भविष्य की तरफ चल रहे हैं

क्या क्या छूट गया है सफर में

अब तो यादें भी विस्मृत हो चली हैं

इतना आकर्षण है

जीवन के सफर में।


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