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Smita Patil Mahajan

Abstract Inspirational

4.8  

Smita Patil Mahajan

Abstract Inspirational

जीवन-सरिता

जीवन-सरिता

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पर्वतों के शिखरों को चूमती,

अठखेलियां करती, 

चट्टानों से उलझती -जूझती सरिता,

गहराई लिए अब शांत, मैदान पर उतर आयी है ! 


क्या हुआ, जो अब वह चंचलता,

वो अल्हड़पन नहीं रहा... 

अब तो प्रगल्भता है, परिपक्वता है

सब कुछ अपने आप में 

समावेश कर लेने की क्षमता है !! 


शांत होते हुए भी, उसकी धारा में बल है

उसके बहाव में ठहराव भी है और गति भी 


अपने में समेटे हुए हैं,

सृष्टि के सृजन की शक्ति!

जीवनदायिनी है वह धारा,

करती है पोषित धरा और भक्ति!


लंबे प्रवास के अंत में 

प्रवाह होता है उसका मंद

करना है विलय सागर संग

यही निश्चित है उसका अंत !


छोड़ सारी अपने में समेटे पूंजी,

खोल सारे बंधनों की कुंजी,

व्याकुल उत्कंठित वह तरिणी आदिकालीन !

अंततः होती है वह 

अनंत में विलीन.....


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