कर्म
कर्म
सृष्टि से सृजन
सृजन से गति
गति से ध्येय
ध्येय की चुनौती!!!
अंतरमन में धधकती ज्वाला
समरांगण को जीत ही डाला
बन ऊर्जावान कर्मठ योगी
तेरी जीत सुनिश्चित होगी
अथक निरंतर प्रयासरत हो
ध्येय से मन भी अवगत हो
सृष्टि ऋण से नहीं है मुक्ति
कर्म पथ पे चलना है भक्ति
सामर्थ्य से सृजन कर हर पल
पदचिह्नों पे गुणीजन के चल
सृष्टि को न कर तू लज्जित
कर धरा को तू सु-सज्जित
सृष्टि से सृजन
सृजन से गति
गति से ध्येय
ध्येय की चुनौती!!!
