जीवन संदेश
जीवन संदेश
मनवा भया फ़कीर ,
अब डर काहे का I
तुझमें रमा रे मन ,
अब डर काहे का I
चार दिन की ज़िन्दगानी ,
फिर धू - धू जल जाना है I
कांटो की संसार बाड़ी में ,
उलझ - पुलझ रह जाना है I
हंसा बन मोती चुग ले ,
मान सरोवर फिर न पाना है I
कागा सा वाचाल न बन ,
यम फांस से न कोई बच पाया है
काया है तुझे कितनी प्यारी ,
मल - मल रोज नहाता है I
मुख तो रोज चमक जाता ,
मन में रोज मैल भर जाता है I
मेरा - मेरा के चक्कर में ,
ताड़ सा अकड़ जाता है I
कर्म तेरे ही संग जायेंगे तेरे ,
सारा साज यही रह जाता है I
बुलबुले हैं पानी के हम सब ,
अंत में उस सागर में सबको है समाना है I
इतना भी क्या मोह जग से ,
जब अंत समय में कोई साथ न जाना है I
अकेला आया था इस जग में ,
अकेला ही तो हमें जाना है I
यही मौका है मिला किस्मत से ,
इतिहास बना या रच जाना हैI