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Sunita Shukla

Abstract Inspirational

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Sunita Shukla

Abstract Inspirational

जीवन का सार

जीवन का सार

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पैसा भरा अथाह गागर में

कब तू उसको खरचेगा

कर्मों का तू हिसाब कर

कब तक भाग्य को तरसेगा


काम क्रोध और लोभ मोह 

ये सब हैं नरक के द्वार

इनसे हरदम बचकर रहना 

इसी में जीवन का है सार


धन पर ऐसे दंभ न करना

नहीं किसी का करें अनादर

धोखा छल बेईमानी झाँसा 

ईर्ष्या द्वेष और काम पिपासा


जब तक ये सब साथ रहेंगे

जीवन जैसे जलता अंगार।

कैसे होगा कुसुमित जीवन 

और कैसे होगा उद्धार


मानो ज्यों कीकर के कंटक

जीवन को ये नर्क बनाते

हृदय में जैसे शूल चुभे हैं

क्षरण करें सब रिश्ते नाते


इनसे जब दूरी धर लेंगे

चितवन में सुन्दर सुमन खिलेंगे

आनंदित अनिल की लहर प्रफुल्लित 

चहुँ ओर स्नेह, रहे सुख अगणित


कुटुंब में प्रेम का रहे प्रवाह

शुभ, शांति और संपति अथाह

सुन्दर कितना होगा यह संसार 

सच यही तो है जीवन का सार।


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