जीवन का फलसफा
जीवन का फलसफा
जीवन का फलसफा,कोई न समझ सका,
एक मंजिल है सबकी,रास्ता अलग चुना।
कोई हर मुसीबत को हँसकर झेल रहा,
कोई बैठकर दुखडे रोता ही रह गया।
किसी को हुई हासिल मोहब्बतें हरदम,
किसी की आँखों मे इंतजार ही रहा।
ज़िंदगी ने खुद ये सबक सबको सिखाया,
वक्त रुकता नहीं कभी बस यही बताया।
बाबा कबीर ने तो पहले ही बता दिया था,
न ज्यादा दोस्ती,न रख दुश्मनी सिखा दिया था।
गीता के सार, कुरान की आयतों का मर्म है,
इंसानियत निभाना सबसे बडा धर्म है।
ज़िंदगी की पहेली सुलझाने का ये तरीका है,
मेहनत और इंसानियत जीने का सलीका है।