जीवन एक संगीत, एक नृत्य है
जीवन एक संगीत, एक नृत्य है
वक़्त, बेवक़्त नृत्य करवाती है ज़िन्दगी,
जाने कैसे-कैसे कृत्य करवाती है जिंदगी,
कभी सुख के घुंघरू बांधे, कभी दुःख के
सदा अपनी ही ताल पे घुमाती है ज़िंदगी।
मस्तिष्क में नृत्य करते हैं, कितने विचार,
कभी दर्द, तो कभी खुशी के, छेड़ते तार,
यही तो जीवन है, यही तो है ज़िन्दगी जो,
कभी पार लग जाती कभी फंसे मझधार।
कभी संगीत सरगम, कभी भरतनाट्यम,
कभी तबले की तरह, हमें बजाती हरदम,
सीख लेता जो, हर ताल पे थिरकना यहांँ,
गुनगुनाती ज़िंदगी बनती उसी की हमदम।
बिखर जाते हैं सूर, कभी पांव लड़खड़ाते,
कभी उम्मीद के वीणा के तार ही टूट जाते,
बिखरे तार जोड़कर जो संभलना सीख ले,
तो ज़िंदगी कैसे भी नचाए वो नहीं घबराते।
नृत्य करवाती है ज़िंदगी, नाचना सीख लो,
गीत है संगीत है ये ज़िंदगी, गाना सीख लो,
गाना पड़े कोई राग, करना पड़े सालसा भी,
तो डरना क्या? इनके साथ जीना सीख लो।
जीवन एक संगीत, सुर से सुर मिलाते चलो,
हर रंग में बस खुशियों की धुन बजाते चलो,
जीवन एक नृत्य जब तक हैं सांँसे नाचना है,
फिर इस दुनिया का मंच छोड़ चले जाना है।
