जीवन और संघर्ष
जीवन और संघर्ष
जीवन पथ पर चलते चलते,
सुख-दुख बारंबार मिले,
कांटो से संघर्ष किया तब,
कुछ बगिया में फूल खिले
सोच रहा क्या खड़ा किनारे,
मांझी क्यों पतवार छड़े,
जीवन का तो सार यही है,
उभरे जो मंझधार चले
माना झुलसे तेरे सपने,
संघर्षों की आग जले,
फिर उठ कर के देख जरा तू,
ऐसे ही हैं वीर पले
जीवन जो संघर्ष हीन वो,
अंधियारे सा दीप जले,
जीवन जो संघर्षपूर्ण वो,
चमके जैसे सूर्य जले।
