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Sumit. Malhotra

Abstract

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Sumit. Malhotra

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जीती मक्खी निगलना

जीती मक्खी निगलना

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जीती मक्खी निगलना आसान नहीं, 

कुछ अपने पराये हमें भड़काते रहते। 


उनकी बातों में कभी हमें आना नहीं, 

बेईमानी ठगी करें बिल्कुल सही नहीं। 


आज-कल लोग पैसों के वास्ते जीती, 

मक्खी निगलने को भी तैयार रहते हैं। 


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